रविवार, 15 दिसंबर 2013

प्रणाम

सभी भगवद्भक्तों को कोटिशः दंडवत !
यह मेरा पहला ब्लॉग है | लेखन की कला आती नहीं; शब्दों पर कोई अधिकार नहीं है; भाषा भी कोई प्रांजल नहीं है | ऐसे ही जैसे मक्खी अपनी औकात भर आकाश में उड़ लेती है, श्री रामचंद्र जी के यशोगान में भागी बन लेना चाहता हूँ | यद्यपि यह उपमा भी मैंने गोस्वामी जी से उधार ली है, मैं तो इससे भी कुछ छोटा कहना चाहता था | मगर छंद-अलंकार में अपनी हालत थोड़ी कच्ची है |
राम जी की महिमा गाने का असली हक़ तो उनके किसी भक्त को ही है | लोमश, वाल्मीकि, व्यास, वशिष्ठ, पराशर, भरद्वाज, कुम्भज आदि प्राचीन ऋषि; विष्णुस्वामी, यमुनाचार्य, रामानुजाचार्य, मध्वाचार्य, कम्बन, कृत्तिवास, तुलसीदास, रूप गोस्वामी, सनातन गोस्वामी, जीव गोस्वामी, सूरदास, नरोत्तम ठाकुर, मुरारी गुप्त, नरसी मेहता, मीराबाई, कबीर, रसखान, मनीरामदासजी आदि आधुनिक महात्माओं इत्यादि का तो सिर्फ नाम ही लिया जा सकता है | मैं इन सब के चरण कमलों के धुल कण के बराबर नहीं हूँ | फिर भी अपने ही हित के लिए राम जी की महिमा गाने की हिम्मत कर रहा हूँ |
जी हाँ! हर जगह, हर संत से, हर सुहृद से, हर सच्चे मित्र से और गुरु से यही सुना है कि हमें सर्वदा सर्वथा श्री भगवान् के यशोगान में ही मन लगाना चाहिए | हमारे उद्धार का एकमात्र यही उपाय है | इसी लोभ से अधिकारी नहीं होते हुए भी साहस कर रहा हूँ |
और उससे भी अधिक साहस कर रहा हूँ अपने इस बाल-क्रीडा को सच्चा 'राम-गुण-गान' समझ कर इस ब्लॉग पर आप सब से बांटने का | बुरा मत मानिएगा |
इस में मेरा स्वयं को ज्ञानी, कवि या भक्त साबित करने और राम-यश के व्याज से अपना यश प्राप्त करने का कोई इरादा नहीं है | असल में जिस प्रकार के भौतिक-परिस्थितियों में रह रहा हूँ, वहाँ राम-स्नेही जल्दी मिल नहीं रहे हैं | या तो मुझे अभागा और अनधिकारी जान कर मुझसे छिप रहे हैं; या फिर मैं सच में अपने को राम-भक्त मानने का पाखण्डमय मिथ्या-अहंकार कर रहा हूँ | कारण जो भी हो, मैंने ये सोचा है कि इस ब्लॉग पर 'राम' नाम के व्याज से थोड़ा विज्ञापन कर लूँगा तो कोई न कोई करुणामय वैष्णव जरूर मुझ पर कृपा कर के मुझे अपनी शरण में ले लेंगे | इससे अधिक इस ब्लॉग पर गंभीर ज्ञानमय और गूढ़ भक्तिमय बातें लिख कर वाहवाही लूटने का कोई इरादा नहीं है | अगर मेरे लिखे हुए में कुछ भी भला जान पड़े तो वह सचमुच श्रीराम जी की महिमा और मेरे गुरुजनों की कृपा ही है | बाकी सब तो बेकार की वाग्वैखरी ही होगी |
अस्तु! समस्त हरिभक्तिसमाज से कृपा की आकांक्षा के साथ -
जय श्री राम!

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें